जिन्हें हर रोज ढूंडा था गली गली
वो सपनो से कल बाँहों में समां गए
फिर आँख खुली सब सुना था,
सही है, किस्मत भला कोई जीता है
महफ़िल-ए-शाम का नजारा भी कुछ अजीब है,
शहर शोर से भरा है और मैं अकेला चल रहा हूँ।
अब क्या बयां करे हाल गम-ए-शहर का,
यहाँ हर तरफ भीड़ है, और ख़ामोशी भी अपने मुकाम पर है।
जमाना कहता है, हम चलते नहीं सही से राहों में,
हम क्या करें हमे हर तरह एक तस्वीर ही दिखाती है,
वो जब रूठ जाती है तो, लड़खड़ा जाते हैं,
और मुस्करा जाये तो, गिर ही जाते है इन राहों में|
काश आंसू की तरह यादे भी बह जाती ................
कम से कम हर बार तेरी याद आने पे या आंसू तो नहीं बहते।
मगर अपनी तो दुनिया आपसे ही शुरू होती है।
माना की बातें बहुत करते हैं हम आपसे जो खास नहीं,
मगर जो रह जाती है दिल में वो बहुत खास होती हैं।
मगर अपनी तो दुनिया आपसे ही शुरू होती है।
माना की बातें बहुत करते हैं हम आपसे जो खास नहीं,
मगर जो रह जाती है दिल में वो बहुत खास होती हैं।
माना कि आपके लिए हम से खास कुछ और भी है,
तुम चाहे कुछ भी समझो मुझे,
किसी के समझने से में बदलूँगा नहीं,
के जब मुझे बदलना था,
तो तब किसी ने मुझे समझा ही नहीं।
काश महसूस कर लेने का अहसास छू लेने जैसा होता,
मैं हर रोज महसूस करता तुजे, तेरे दूर जाने के बाद।
हंस कर गले लगा लेता तुजे हर बार आँख खुलने के बाद,
कि काश तेरा हर शितम कुछ नहीं बस इक सपना होता।
कह देते हम इस दिल की सारी बातें,
चांदनी रातों की वो लम्बी मुलाकातें,
क्या करें तेरे गम में बह गयी सब,
रह गए, बस खाली सपने और काली रातें।
हम छोड़ आये उन्हें तन्हा, मगर जिंदगी तो अपनी भी सूनी हो गयी,
सही तो है बिना इंसानों के क्या कभी घर भी चहकते हैं?
अकेले हो जाते हैं अकसर वो लोग भी,
जो तनहा किसी को छोड़ आते हैं।
ये क्या होगी है जिंदगी,
मंथन में खो सी गयी हैं।
मैं सोचता हूँ, अकेले कट जाएगी,
फिर तन्हाई में किसका इंतजार करती हैं?
ये आशिक उन्हे समझते हैं,
जो कैमरे में कैद करते हैं इन्हे।
और दिल में बसाने वाले
तो अक्सर धोखा खाते हैं।।