मेरा गुस्सा और मेरे अन्दर समाया उबाल, उसदिन मेरे चेहरे पर नजर आने लगा था, और आता भी कैसे नहीं मैंने हमेशा ही तो अपने गुस्से को दबाने की कोशिश की, मैं हकीकत जानना चाहता था, लेकिन जो भी उसने कहा मैंने उसे हकीकत नहीं माना, मेरी ऑंखें गुस्से से लाल हो चुकी थी और चेहरे से बहता पसीना बता रहा था की मैं कितना परेशान था, मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था, मैं इस सच और झूठ के बीच में नहीं जीना चाहता था, उसने सब कुछ मेरे लिए किया या फिर मुझे धोखा दिया, काफी देर तक मैं पागलों की तरह अपना सर पटकता रहा मगर कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन कुछ देर में ही मेरे शैतानी दिमाग में वो ख्याल आ ही गया, मैंने मन ही मन कहा "सच्चाई कल मुझे पता चल जाएगी, मरते वक्त कोई इन्सान झूठ नहीं बोलता, कल मैं तुम्हारा खून कर दूंगा और सिर्फ तुम्हारा ही नहीं अपना भी लेकिन इससे पहले कुछ बातें तो कर लूँ तुमसे, आखरी बार तुम्हारी तन्हाइयों के आँचल में बैठ के रो लूँ, और हाँ मरने से पहले एक बार तुम्हे जरूर गले लगाऊँगा|"
मैंने उसकी एक पुरानी तस्वीर ढूँढ ली और उससे बातें करने लग गया मेरे आँखों में हमारी कहानी एक आने वाली फिल्म की 'प्रमोसन ऐड'" की तरह जल्दी-जल्दी और बार बार आ रही थी "क्यों दूर हो गए तुम मुझ से" मैंने उसकी तस्वीर से बातें करनी शुरू कर दी. "कल बताऊँगा की कितना रोया था मैं, तुमसे अलग होने के बाद, मरने से पहले एक बार हम फिर साथ में रोयेंगे| यार एक बात बताओ मुझे! ख़ुशी में हँसना ही सिर्फ प्यार होता हैं? हम तो हर गम में साथ रोये थे, वो क्या कम था? अलग होने के बाद अक्सर सोचते हैं, अगर हम साथ होते तो ये करते वो करते, यहाँ जाते वहां जाते, वैसे जिंदगी साथ गुजारना भी तो किस्मत का खेल है न, तुम ने मुझे हर वक्त कहा था की जो किस्मत में होगा वही मिलेगा मगर मैंने कभी तुम्हारी नहीं सुनी, मैं तो हमेशा सोचता था की हम दोनों अलग होने के लिए बने ही नहीं थे, वैसे मैं ही पागल था, क्या तुम्हे याद है वो दिन, अरे यार मैं तुमसे क्या चीज पूछने लगा ये बात तो तुम्हे याद जरूर होगी| जब उसदिन हम मंदिर गए थे तो वो पुजारी मुझ से कह रहा था की ये लड़की तुम्हे छोड़ के चली जाएगी, और मैं उसकी बातों पे जोर जोर से हंसा था और तुम सिर्फ मुस्करा गयी थी, आज सोचता हूँ काश मैं उसी दिन समझ जाता| तुम जानती हो मैंने तुम्हे समझाने की कितनी कोशिश की मगर तुम नहीं समझी काश तुम मेरा प्यार समझ जाते, मैंने तो हमेशा सही सोचा था न? की तुम मेरी भलाई के लिए मुझ से अलग हो रही हो|
हर चीज याद है मुझे शायद तुम्हे भी होगी, वो देर रात तक तुम्हारा SMS करना, मैं सो जाता तुम फिर भी SMS करती रहती थी, और जब सुबह मैं तुम्हे जगाता था तुम्हारे exams के टाइम पे और तुम फिर से सो जाते थे मैं फिर से जगाता था तुम फिर से सो जाते थे, सब कुछ याद है तुम रोज दिन में मुझे फोन करके पूछते थे खाना खाया या नहीं, क्या खाया, ये खालो वो खालो, कितनी फ़िक्र करते थे तुम मेरी सब याद है मुझे यार, सब कुछ याद आता है|
मुझे पता है मैंने भी तुम्हारा दिल कई बार दुखाया है मगर उसकी सजा इतनी बड़ी तो नहीं होती, तुम ने कितनी बार समझाया ना मुझे, की पैसे कैसे बचाने है, कैसे खर्चा चलाना है, मैं ही नहीं समझा, तुम मेरी लिए सिर्फ गर्लफ्रेंड नहीं थी यार उससे कही बढकर थी और ये बात तुमने भी तो कही थी, फिर ऐसा क्या हो गया था, शायद तुम मुझे गलत समझ रही थी, मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा की मैं तुम्हे अपने पास कैद करके रखूँ , मैं ऐसी सोच नहीं रखता, मगर अब इन सब बातों का क्या फायदा, अब तो सारे गिले शिकवे ख़त्म होने ही जा रहे हैं, याद है तुमने हमारे घर के बारे में क्या कहा था शायद नहीं होगा तुमने कहा था बाबू तुम सिर्फ एक छोटा घर बना दो खुशियाँ तो हम मिलकर भर ही देंगे, और मुझे थो शादी के बाद लड़की ही पसंद थी और और हम दोनों ने ये भी तय किया था की हम एक बच्चा गोद लेंगे. याद है तुम्हे? मैंने तो तुम्हारे सपनो को पूरा करने की हरवक्त कोशिश की है, आज मेरे पास घर तो है मगर वो सूना है, सब कुछ होने के बाद भी अधूरा है, शायद तुम्हे पता नहीं आजतक मैंने किसी और को अपने दिल के करीब नहीं आने दिया पता है क्यों? क्योंकि तुमने कहा था की "मेरे साथ कोई भी खुश नहीं रह सकता" क्या करू मेरी जान मुझे भी तो ये सब करना अच्छा नहीं लग रहा मगर मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता और न किसी के साथ तुम्हे देख सकता हूँ, मैं इन्सान ही हूँ, मेरी भी एक सीमा है, दर्द सहने की, अब नहीं सह सकता, और तुम भी तो मेरे साथ नहीं रहना चाहती, मैं जीना चाहता हूँ मगर इस ख्याल के साथ नहीं की कोई मुझे धोखा दे कर चला गया, तुम मुझे नहीं मारोगी और मैं खुद को नहीं मरना चाहता लेकिन तुम्हे मारने के बाद मैं खुद को मार दूंगा| वो दिन बहुत जल्दी बीत गए, जब हमने बड़े बड़े सपने देखे, बड़े बड़े वादे किये, काश मैं वो टाइम वापस ला पता|"
"चलो यार बहुत बातें हो गयी, अब सो जाते है, जिंदगी की आखरी रात तस्सली से सो जाते हैं, वैसे भी जब से तुमसे मिला हूँ सोया नहीं सही से, पहले कुछ दिन तुम्हारे लाइफ में आ जाने की ख़ुशी में, फिर देर रात तक तुम से बात करता था, मुझे पता है कि तुम तो दिन में सो जाती थी और में ऑफिस में आधी नींद में काम करता था, और फिर जब से तुम मुझ से अलग हो गयी तब से तो नींद आती ही नहीं, न जाने रातों को कितनी बार नींद टूट जाती है, रोज सपना आता है कि मेरी प्यार मेरे पास लौट के आ रहा है मगर आँख खुलते ही फिर से टूट जाता है" ठीक है मेरी जान अब सो जाते है, जिससे बात करनी हो आज कर लेना, कल के बाद तो किसी से बात नहीं कर पावोगे न तुम न मैं न मिलना न बात करना वैसे मैं किसी से भी बात नहीं कर रहा, तुम्हारे सिवा मुझे किसी से बात करना अच्छा नहीं लगता, कल मिलेंगे वैसे पहली बार मुझे एक बदमाश कि शक्ल में देखोगे तो बड़ा अजीब लगेगा न, मुझे पता है तुम आखिर तक सोचोगे कि मैं मजाक कर रहा हूँ मगर में तुम्हारे प्यार कि तरह मजाक नहीं करूंगा, अगर बन्दूक लाऊंगा तो, दोनों को ही खत्म कर दूंगा प्यार से, वैसे मैं भी कल पहली बार किसी को मारने जा रहा हूँ साथ में खुद को भी, मुझे प्रोफेसनल किलर मत समझना, ठीक है अब सो जावो मेरी जान मेरी स्वीट हार्ट गुड नाईट लव यु"
मैं चैन से सोना चाहता था उस आखरी रात को, मगर मुझे नींद नहीं आई, मेरे लिए असली सुकून या तो उसकी बाँहों में था या फिर मौत की बाँहों में, मैंने उसकी यादों से जुडी हर चीज को जला दिया, और फिर कुछ पल के लिए सो गया, लेकिन उस रात मुझे कोई सपना नहीं आया, अगली सुबह में उठा ठीक 6:30, बिना काम के भी इतनी जल्दी उठ गया, लेकिन काम था मेरे पास, कल रात जो भी बकवास की थी उसकी फोटो के सामने, उसके बारे में भी तो सोचना था, मैंने अपने आप से कई सवाल पूछे "क्या मैं वो सब करूंगा, क्या मैं उसे मारूंगा" मेरे जबाब हाँ था मैं, जिसने आज तक उसके बारे में कभी भी गलत नहीं सोचा, बुरा नहीं सोचा वो उसे मरने वाला था, मैं कई घंटों तक अपने दिल और दिमाग के झगड़े के बीच फंसा रहा, कभी मेरा दिल मेरे साथ था तो कभी मेरा दिमाग, आखिर दोनों ही मेरे तो थे, सारी तैयारी पूरी हो गयी दोस्त के घर से बिना उसे बताये रिवाल्वर चुरा ली, और पहुच गया उसके घर, दोपहर की धूप और चारों और सन्नाटा, मैंने दरवाजा खटखटाया, दरवाजा खुलते ही ऐसा लगा, जैसे मैं जन्नत को बड़े करीब से देख रहा हूँ
वो चोंक के बोली "तुम"|
मैंने कहा "हाँ मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाया" उसने मुझे घर के अन्दर बुला लिया, घर में और कोई नहीं था मौका सही था, मुझे ऐसे लगा जैसे वो मेरा प्यार पहले से ही मेरा इंतजार कर रहा था|
"क्यों आये मेरे पास" "मैं तुमसे नहीं मिलना चाहती" वो मुझ से 10 फीट की दूरी से पूछे जा रही थी|
मैं कुछ देर चुप रहा फिर बोला "आखिरी बार मिल रहे है हम, उसके बाद हम दोनों किसी से भी नहीं मिल पाएंगे, मैं हम दोनों को मारने आया हूँ, बस एक बार गले लगा कर मुझे हकीकत बता दो की तुमने मुझ से कभी प्यार किया भी या फिर सिर्फ धोखा किया"
"पागल हो गए हो क्या, वैसे मजाक अच्छा है" वो हँसते हुए बोली|
"यकीन नहीं आ रहा है तुम्हे, ये देखो" मैंने रिवोल्वर बहार निकल के उसे दिखाई, कुछ देर सारे कमरे में सन्नाटा छा गया, उसके चहरे पर कई शक और आश्चर्य के निशान एक साथ नजर आये, लेकिन कुछ देर बाद वो बोली,
"तुम ऐसे कब से हो गए, और तुम सच सुनना चाहते हो या फिर मेरे से अपने बारे में ये झूठ की मैं तुम से प्यार करती हूँ"
मैं मुस्कराया फिर बोला "नहीं सच क्यों कि दोनों का अंजाम एक ही है हम दोनों कि मौत, प्यार करते भी हो फिर भी हम इस दुनिया मैं नहीं रहेंगे और नही करते तो भी, ये मत सोचना कि तुम्हे मारने के बाद मैं खुद को नहीं मारूंगा, अगर तुम्हे ऐसा लगता है तो तुम पहले मुझे मर देना और फिर खुद को, मैं आज भी यकीन कर सकता हूँ तुम्हारा"
"वो कुछ देर तक बोलती रही कि "तुम पागल हो गए हो, वापस चले जाओ" मगर मैं नहीं माना वो आखिर कार मेरे गले से लग ही गयी, कितने सालों बाद मेरा प्यार मेरी बाँहों में था, ये मेरे लिए जन्नत कि सैर से कम नहीं था|
हम दोनों वैसे ही गले मिले जैसे दो बिछुड़े प्यार करने वाले मिलते है, ये मेरे लिए बहुत अच्छा था, लेकिन जो आगे होने वाला था शायद वो बहुत बुरा था, वो चिल्ला के बोली "नफरत करती हूँ में तुमसे, मैंने कभी प्यार नहीं किया तुमसे, अब मुझे मार लो मैं झूठ कहकर नहीं मरना चाहती"
मेरी सारी ख़ुशी पल भर में ख़त्म हो गयी, वो मुझ से दूर चली गए अभी तो पास आई थी, मैं उसका सही से अहसास भी नहीं कर पाया, मैंने कहा नहीं ऐसा मत कहो "प्लीज"|
वो एक कोने में जा कर रोने लग गयी, फिर मुझे अहसास हुआ काश वो रिवोल्वर नकली नहीं होती तो मैं सारी गोलियां उसकी जगह अपने पे ही चला देता, मगर मैं तो असली रिवोल्वर ले के ही नहीं गया, मुझे अहसाह हुआ की लोग आत्महत्या क्यों कर लेते है, और सही होते है वो लोग जो रिवोल्वर जैसी चीजें अपने पास रखते हैं, मेरे पास होती तो अभी कम आ जाती, लेकिन अब मैंने अपने आप को सच में ख़त्म करने की सोच ली, उस दिन मुझे लगा अगर ऊपर वाला एक रास्ता बंद करता है तो दूसरा खोल देता है मैंने बिना उसे बताये किचन में रखा गेस का सिलिंडर खोल दिया, वो जान गयी की मेरी रिवोल्वर में गोली नहीं है, और वो ये भी जान गयी कि मैंने मरने कि तैयारी अब तो पूरी कर ही ली है, वो एक बार फिर चिल्लाई|
"पागल हो गए तुम, ऐसे क्यों किया बाबू" मगर बहुत देर हो चुकी थी, शायद मैं फिर एक बार धोखा खा रहा था कि वो मुझे प्यार करती है, लेकिन मैं धोखे में नहीं रहना चाहता था मैं गैस जला कर कमरे मैं आग लगा चूका था मैंने सिर्फ जल्दी से दरवाजा खोला और उसे बहार धक्का दे दिया, वो बाहर से चिल्लाती रही 'प्लीज दरवाजा खोलो बाबू दरवाजा खोलो" उसके बाद उसकी आवाज सुनाई नहीं दी या फिर मुझे कुछ भी याद नहीं है
कुछ दिन बाद मैं हॉस्पिटल में था, और वो मेरे पास खड़ी थी उन्ही कपड़ों में जो मुझे बहुत पसंद थे, मैं ऊपर वाले का शुकरियादा भी नहीं कर पाया था की मुझे अपने जिन्दा रहने पर गुस्सा आने लगा, क्योंकि वो एक स्मार्ट से लड़के के साथ मुझे मिलने आई थी, मुझे लगा यही मेरा दुश्मन है लेकिन तब तक वो कुछ बोल पड़ी और जो भी बोली वो मेरे लिए बहुत अच्छा था "भैया आप जाओ मैं बाद में आ जाऊंगी"|