वो हर वक्त तुझे सोचता है,
वो हर पल तुझे चाहता है
क्यों नहीं लौट जाता तू पास उसके,
जो सोचता है की तू हर वक्त क्या सोचता है|
वो चाहता है तुम्हे इतना,
जैसे हर प्यासा बरसात चाहता है|
अँधेरे में, किसी बेबस की तरह,
बस तेरा साथ चाहता है|
एक बार सोच ले तू,
वो तुजे बार बार सोचता है|
तेरे नफरतों के समुंदर में
अश्क-ए-प्यार ढूंढ़ता है|
....................................................to be continued
वो हर पल तुझे चाहता है
क्यों नहीं लौट जाता तू पास उसके,
जो सोचता है की तू हर वक्त क्या सोचता है|
वो चाहता है तुम्हे इतना,
जैसे हर प्यासा बरसात चाहता है|
अँधेरे में, किसी बेबस की तरह,
बस तेरा साथ चाहता है|
एक बार सोच ले तू,
वो तुजे बार बार सोचता है|
तेरे नफरतों के समुंदर में
अश्क-ए-प्यार ढूंढ़ता है|
....................................................to be continued